LPG Gas New Price: भारत में रसोई गैस सिलेंडर हर घर की सबसे बड़ी जरूरतों में से एक है। आज के समय में चाहे शहर हो या गांव, हर घर में गैस सिलेंडर का होना जरूरी है। पुराने कल्चर के चूल्हे पर खाना बनाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे हालात में ग्रामीण क्षेत्रों के लोग भी अब एलपीजी सिलेंडर पर ही निर्भर हैं। लेकिन उन्हें एक समस्या आ जाती है गैस सिलेंडर के दामों को लेकर जो कि आसमान छू रही थी लेकिन अब घबराने की बात नहीं है क्योंकि जीएसटी हटाने से गैस सिलेंडर का दाम भी काम हुआ है जो कि आगे हमलोग विस्तार से जानने वाले हैं कि सिलेंडर का कितना रेट कम हुआ है।
क्यों लिया गया जीएसटी हटाने का फैसला
जब गैस सिलेंडर पर जीएसटी लगाया गया था, तो इसकी कीमत अचानक काफी बढ़ गई थी। पहले जहां उपभोक्ता सब्सिडी के बाद उचित दामों पर सिलेंडर खरीद पाते थे, वहीं जीएसटी लागू होने के बाद इसकी कीमतें ₹1000 तक पहुंच गई थीं। इससे आम नागरिकों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ा। बढ़ते विरोध और महंगाई को देखते हुए सरकार ने आखिरकार यह बड़ा फैसला लिया कि घरेलू गैस सिलेंडर से जीएसटी को पूरी तरह हटा दिया जाए। इस कदम से उपभोक्ताओं को तुरंत राहत मिली है।
पहले कितनी थी कीमत
जीएसटी लागू होने से पहले एलपीजी सिलेंडर की कीमत सामान्य थी, लेकिन 8% से 12% तक टैक्स लगने के बाद दाम तेजी से बढ़ गए। कई जगहों पर उपभोक्ताओं को एक सिलेंडर खरीदने के लिए लगभग ₹1000 का भुगतान करना पड़ता था। यह कीमत मध्यमवर्गीय और निम्नवर्गीय परिवारों के बजट से बाहर थी। यही वजह रही कि सिलेंडर की खपत पर भी असर पड़ा।
नया रेट अब कितना है
जीएसटी हटने के बाद एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में ₹200 से ₹300 तक की गिरावट दर्ज की गई है। अलग-अलग राज्यों में टैक्स ढांचे और परिवहन लागत के आधार पर कीमतें अलग-अलग होंगी, लेकिन सामान्य तौर पर उपभोक्ताओं को अब पहले की तुलना में काफी कम दाम पर सिलेंडर मिलेगा। कई जगहों पर सब्सिडी के साथ सिलेंडर की कीमत ₹350 तक पहुंच गई है। यह उपभोक्ताओं के लिए बड़ी राहत की खबर है।
ग्रामीण लोगों में राहत
इस निर्णय से गांवों में रहने वाले परिवारों को सबसे ज्यादा राहत मिलेगी। अक्सर ग्रामीण इलाकों में महिलाएं लकड़ी या गोबर के उपलों से खाना बनाती थीं, लेकिन बढ़ती कठिनाइयों और स्वास्थ्य समस्याओं के चलते गैस सिलेंडर की जरूरत लगातार बढ़ रही थी। अब कम कीमत पर सिलेंडर मिलने से ग्रामीण इलाकों में स्वच्छ ईंधन का उपयोग और बढ़ेगा। इससे पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी कम होंगी।